Friday, November 8, 2013

राम विलाप

  राम-विलाप
  (बिरहा कहरवा भजन)
हनुमत अबहीं नहीं लौऊटे ,देखो उवल सुकौवा नाय !!टेक०!! 
हनुमत अबहीं नहीं लौऊटे ,देखो उवल सुकौवा नाय !!टेक०!! 
---०----
हमका दुखी देखि नहि पावै भईया तोर करेजवा,
हमरे खातिर तू तजि डारेव मातु-पिता औ घरवा,
छोड़ आज तू राम अकेले,चले कौन डगरवा,
देखो उवल सुकौवा नाय !
हनुमत अबहीं नहीं लौऊटे ,देखो उवल सुकौवा नाय !!टेक०!! 
----०----
जो मै जनतौ तुहू बिछुरबा, पिता बचन ना मनतौ,
जन्म जन्म में फिरि मिलि जैहै मातु पिता औ घर तौ,
वही कोख से फिरि ना पाईब, लछिमन तुह का अब तौ,
देखो उवल सुकौवा नाय !
हनुमत अबहीं नहीं लौऊटे ,देखो उवल सुकौवा नाय !!टेक०!! 
----०----
   
  लछिमन भईया अंखिया खोलो, बिलखई राम तुम्हारे,
 मोर करेजा मुह के आवत बोलो कछु दुलारे,
देखो उवल सुकौवा नाय !
हनुमत अबहीं नहीं लौऊटे ,देखो उवल सुकौवा नाय !!टेक०!!  
---०---
मातु सुमित्रा से का कहिबों, बोलो प्रान पियारे,
बिल्खें राम अँसुवन से विहवल, भेटें रहि रहि भाई.
उत्तर दिसि में भा किलकारी, हनुमत गयिलैएँ आई.
देखो उवल सुकौवा नाय !
हनुमत अबहीं नहीं लौऊटे ,देखो उवल सुकौवा नाय !!टेक०!!  
---०----
खिलिगे हृदय कमाल सब ही के, चहु दिसि आनंद छाई,
देखो उवल सुकौवा नाय !
हनुमत अबहीं नहीं लौऊटे, देखो उवल सुकौवा नाय !!टेक०!!  
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----- सतीशचंद्र, इलाहबाद, नवम्बर, १९६३ 

सीता हरन

पुरुबी भजन
सीता हरन
(कहरवा )
रथवा जाय चढ़ा आकसवा, बिलखय सिया परनवा नाय !
बिलखय सिया परनवा नाय !! टेक० !!
--०
दुष्ट रावनवा दंडक बन माँ, देखि के माय  अकेली !
छल से छल कै जनकदुलारी, चला गगन पथ मेली !
राम राम हा राम हमारे, हम अनाथ अब भयिली,
बिलखय सिया परनवा नाय !! टेक० !!
--०
लछिमन कछु दोस नः तोहरा, क्षमा करहु मोहि भईया !
कहेव राम से हे बनदेबी, हाथ कसाई गईया !
आरत हरन राम जन नायक, लागहु बेगी सहिया,
बिलखय सिया परनवा नाय !! टेक० !!
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दसो दिसावों दिग्गज डोलिय, हिलि गये सेस सोवयिया !
तिहूँ लोक में करुना व्यापी, हरि गईं सीता मैया !
जड़ चेतन सब चित्र लिखे से. बिलखई सीता मैया !
बिलखय सिया परनवा नाय !! टेक० !!
---०---
बन असोक माँ कछु दिन रहिके. सहिके दुसह बिपतिया !
लंका दहन मरण रावन कै, देखिन राम सुरतिया !
होय कबहुँ अब बाल न बांका, जेकर राम सहैय्या हो !
बिलखय सिया परनवा नाय !! टेक० !!
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राथवा जाय चढ़ा आकाशवा,बिलखय  सिया परनवा नाय !
बिलखय सिया परनवा नाय !! टेक० !!


------सतीशचन्द्र, इलाहबाद, नवम्बर, १९६३

Monday, October 28, 2013

राधा का पश्चाताप

राधा का पश्चाताप
(कहरवा बिरहा)

राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
---०---
राम कसम ओरहन ना देतौ, केतना माखन खईहैं !
मोरे कान्ह के कोमल अँगा, साठी हाथ परि जैहैं !
राधा रोवै  औ पछितावे, पकरे नन्द दुवरिया नाय!!
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
---०----
आगि लगे ऊ गगरी-मथनी, आग लगे ऊ दहिया !
जेकरे खातिर मोरे कान्ह कं, दंड दिहिन है  मईया !
हे दैया अब लगो सहैय्या, क़तर नयन पुतरिया नाय !!
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा बन्हा ओखरिया नाय !!टेक०!!
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धिक् धिक् है तुहिका ब्रिज ग्वालिन, यतना कान्ह सतायो !
दधि-माखन तुह्का हम देबय, जेहि लगी ओरहन लायो !
हे मईया अब बक्सों ओंका, लरिका कान्हा नाय !
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
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-------------------------सतीशचंद्र, इलाहबाद, ऊ. प्र. नवम्बर.१९६३

Saturday, October 26, 2013

भजन - बाजे हो ता-ता-धिन्ना

भजन 

(कहरवा)


बाजे हो ता ता धिन्ना गगन में 


बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!
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भादों महीना पाख अँधेरी
अठवीं तिथि में कजरी घेरी,
आधि राति में मथुरा नगरि  में
देखो उई गईल चंदा गगन में !
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!

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दीन हीन बसुदेव देवकी
सोचें गति सतवे लालन की
आठवें  गरभ में किरिसना जन्में
भे आनन्द तीन लोकन में
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!

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छवि सागर हरि रूप बिलोकी
नव अम्बुज अंबक फल नीकी
सोरहो कला से चारो भुजा से
प्रगट भये पहरन में
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!

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जब जब होए भरम की हानी
बाढई असुर महा अभिमानी
भगत बचावै भगवान आवै
तोरि सात तालन में
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!

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Friday, October 18, 2013

शंकर शक्ति नमामि

भजन

शंकर शक्ति नमामि

जब कोई दूजी राह न हो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो ! टेक ० !

जब आस निरास में उब  चलो
जब पीर पियास में डूब चलो,
जब जनि परय जगत मित्थ्या
व्यथा है वृथा तुम जानो यथा
तब ये ही उपाय तू जाने रहो -
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !१! 
जब कोई दूजी राह न हो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो ! 
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माया रजनी ममता सजनी 
यूँ घुले कि न सूझि परय करनी,
भव सागर में न दिखे तरनी 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !२!
तब एक विकल्प तू जनि रहो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो
जब कोई दूजी राह न हो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो
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रस चाटी चटक जो टूटे दसना
जब "मै" "मोहि" "तै" से थके रसना 
मिथ्या बचना से चहो बचना
तो एक सहारा तू जानि रहो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !३!

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पग थाके न दीखे कोई भी दिया
न हिया न पिया न दिया में लिया 
जब अत्ति सताने लगे ये जिया 
तब इस मोल मंत्र को जनि रहो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !४!
जब कोई दूजी राह न हो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो
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जब ओढ़ी चदरिया को बुन बुन बुन 
विषया कर दे जब सुन सुन सुन 
जब हारी चलो सब सुन सुन सुन 
एक उपाय को  जानि रहो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !५!
जब कोई दूजी राह न हो 
तब शंकर शक्ति नमामि कहो
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------ सतीशचन्द्र, इलाहबाद, ऊ.प्र.भारत, नवंबर १९६३ 


Tuesday, October 15, 2013

राम बन गमन - बिरहा

राम वन गमन 



(बिरहा)

राम चले बनवा गोडवा, झलकय झलकवा हाय ! टेक !

राम चले बनवा गोडवा, झलकय झलकवा हाय;
जवन पैया माखन मिसरी, उहै घुमैय डगरी डगरी,
सगरी अजोध्या नगरी, परल बा उचटवा  हाय !१!

राम चले बनवा गोडवा, झलकय झलकवा हाय
राजा आपन प्रान छोड़ई, मईया दुवारिया दऊरें,
भरत भुवाल हेरें, भईया मोर कहवाँ हाय !२!

धनि धनि सीता लछिमन ,राम के चरितवा धनि,
रघुकुल रीती घूमय , धूपवा बतासवा हाय !३! 

राम चले बनवा गोडवा झलकय झलकवा हाय !

------सतीशचन्द्र, इलाहबाद, ऊ.प्र. भरत, नवंबर १९६३ 

बाबू बिसनू


बाबू बिसनू 

अरे बाबू बिसनू किसनू सुना हमार  कबित्त
 तू तो परमेसर ठेका सबकै लेहले हया  !१!

हया हया सब कहै हम कहीं नाही हया 
हया तो हया नाही बेहया बनल हया !२!

केतना थकास कौन लाधिया धकेलला है
सूती निः चिंत सेवा मेहेरी से करवात हया !३!

दुनिया में आगि लागि द्वापर बीत कलजुग आय
अबहीं ले भला भईल घरघुसना बनल हया !४!
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-------सतीशचंद्र, इलाहबाद, ऊ, प्र.भारत नवंबर १९६३