भजन
शंकर शक्ति नमामि
जब कोई दूजी राह न हो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो ! टेक ० !
जब आस निरास में उब चलो
जब पीर पियास में डूब चलो,
जब जनि परय जगत मित्थ्या
व्यथा है वृथा तुम जानो यथा
तब ये ही उपाय तू जाने रहो -
तब ये ही उपाय तू जाने रहो -
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !१!
जब कोई दूजी राह न हो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !
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माया रजनी ममता सजनी
यूँ घुले कि न सूझि परय करनी,
भव सागर में न दिखे तरनी
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !२!
तब एक विकल्प तू जनि रहो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो
जब कोई दूजी राह न हो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो
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रस चाटी चटक जो टूटे दसना
जब "मै" "मोहि" "तै" से थके रसना
मिथ्या बचना से चहो बचना
तो एक सहारा तू जानि रहो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !३!
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पग थाके न दीखे कोई भी दिया
न हिया न पिया न दिया में लिया
जब अत्ति सताने लगे ये जिया
तब इस मोल मंत्र को जनि रहो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !४!
जब ओढ़ी चदरिया को बुन बुन बुन
विषया कर दे जब सुन सुन सुन
जब हारी चलो सब सुन सुन सुन
एक उपाय को जानि रहो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !५!
रस चाटी चटक जो टूटे दसना
जब "मै" "मोहि" "तै" से थके रसना
मिथ्या बचना से चहो बचना
तो एक सहारा तू जानि रहो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !३!
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पग थाके न दीखे कोई भी दिया
न हिया न पिया न दिया में लिया
जब अत्ति सताने लगे ये जिया
तब इस मोल मंत्र को जनि रहो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !४!
जब कोई दूजी राह न हो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो
------ जब ओढ़ी चदरिया को बुन बुन बुन
विषया कर दे जब सुन सुन सुन
जब हारी चलो सब सुन सुन सुन
एक उपाय को जानि रहो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो !५!
जब कोई दूजी राह न हो
तब शंकर शक्ति नमामि कहो
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------ सतीशचन्द्र, इलाहबाद, ऊ.प्र.भारत, नवंबर १९६३
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