राम वन गमन
(बिरहा)
राम चले बनवा गोडवा, झलकय झलकवा हाय ! टेक !
राम चले बनवा गोडवा, झलकय झलकवा हाय;
जवन पैया माखन मिसरी, उहै घुमैय डगरी डगरी,
सगरी अजोध्या नगरी, परल बा उचटवा हाय !१!
राम चले बनवा गोडवा, झलकय झलकवा हाय
राजा आपन प्रान छोड़ई, मईया दुवारिया दऊरें,
भरत भुवाल हेरें, भईया मोर कहवाँ हाय !२!
धनि धनि सीता लछिमन ,राम के चरितवा धनि,
रघुकुल रीती घूमय , धूपवा बतासवा हाय !३!
धनि धनि सीता लछिमन ,राम के चरितवा धनि,
रघुकुल रीती घूमय , धूपवा बतासवा हाय !३!
राम चले बनवा गोडवा झलकय झलकवा हाय !
------सतीशचन्द्र, इलाहबाद, ऊ.प्र. भरत, नवंबर १९६३
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