भजन
(कहरवा)
बाजे हो ता ता धिन्ना गगन में
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!
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भादों महीना पाख अँधेरी
अठवीं तिथि में कजरी घेरी,
आधि राति में मथुरा नगरि में
देखो – उई गईल चंदा गगन में !
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!
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दीन हीन बसुदेव देवकी
सोचें गति सतवे लालन की
आठवें गरभ में किरिसना
जन्में
भे आनन्द तीन लोकन में
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!
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छवि सागर हरि रूप बिलोकी
नव अम्बुज अंबक फल नीकी
सोरहो कला से चारो भुजा से
प्रगट भये पहरन में
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!
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जब जब होए भरम की हानी
बाढई असुर महा अभिमानी
भगत बचावै भगवान आवै
तोरि सात तालन में
बाजे हो ता-ता-धिन्ना गगन में !!टेक० !!
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