राधा का पश्चाताप
(कहरवा – बिरहा)
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा
बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा
बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
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राम कसम ओरहन ना देतौ, केतना
माखन खईहैं !
मोरे कान्ह के कोमल अँगा, साठी
हाथ परि जैहैं !
राधा रोवै औ पछितावे, पकरे नन्द दुवरिया नाय!!
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा
बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
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आगि लगे ऊ गगरी-मथनी, आग लगे
ऊ दहिया !
जेकरे खातिर मोरे कान्ह कं, दंड
दिहिन है मईया !
हे दैया अब लगो सहैय्या, क़तर
नयन पुतरिया नाय !!
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा
बन्हा ओखरिया नाय !!टेक०!!
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धिक् धिक् है तुहिका ब्रिज ग्वालिन,
यतना कान्ह सतायो !
दधि-माखन तुह्का हम देबय, जेहि
लगी ओरहन लायो !
हे मईया अब बक्सों ओंका, लरिका
कान्हा नाय !
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा
बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
राधा झाँकें हाय कोठारिया, कान्हा
बन्हा ओखारिया नाय !!टेक०!!
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-------------------------सतीशचंद्र, इलाहबाद, ऊ. प्र. नवम्बर.१९६३